दिलचस्प ट्विस्ट उज्ज्वल निकम को राज्यसभा में भेजा गया – कैसे बदली उनकी कहानी?

ujjwal nikam

📜 नामांकन की घोषणा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 13 जुलाई 2025 को राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित लोगों का नामांकन किया है:
उज्ज्वल देवराव निकम (विशेष सरकारी अभियोजक)
हर्षवर्धन श्रृंगला (पूर्व विदेश सचिव)
डॉ. मीनाक्षी जैन (इतिहासकार)
सी. सदानंदन मास्टर (समाजसेवी व शिक्षाविद) ।


⚖️ उज्ज्वल निकम: हाई‑प्रोफाइल अभियोजन का चेहरा

  • 26/11 मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी दिलवाने वाले विशेष सरकारी अभियोजक। उन्होंने 1993 के बॉम्ब ब्लास्ट, गुलशन कुमार हत्याकांड, प्रमोद महाजन हत्या मामले जैसे कई बड़े मामलों में अभियोजन किया ।
  • अब तक 600+ कैद व 37 फांसी की सजाएँ दिलवाई; वर्ष 2016 में उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा गया ।
  • लोकसभा चुनाव 2024 में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से भाजपा उम्मीदवार रहे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा ।

🏛️ राज्यसभा पहुंचने का मतलब

  • संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत, राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान या सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 12 सदस्यों को नामित कर सकते हैं।
  • राज्यसभा में अब कानूनी मामलों का अनुभव मजबूत हुआ—यह निकम की विधिक समझ और न्याय सोच को संसद तक पहुँचाएगा।
  • गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, ये नामांकन उन सदस्यों की सेवा-समाप्ति के बाद हुई रिक्तियों को भरने के लिए की गई है ।

🗣️ निकम की पहली प्रतिक्रिया

  • उन्होंने कहा कि अभियोजन जीवन में कई बार विपक्ष का सामना करना पड़ा लेकिन हमेशा न्याय के लिए लड़ाई की; उन्होंने सरकारी कामों में बाधाओं और विधिक कमजोरियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया ।
  • निकम ने न्याय व्यवस्था में सुधार और सेवाकार्यों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई—जनता का विश्वास उनके लिए बहुत मायने रखता है ।

✅ संक्षिप्त सारांश

बिंदुविवरण
नामांकन तिथि13 जुलाई 2025
किन्हें नामितउज्ज्वल निकम, हर्ष श्रृंगला, मीनाक्षी जैन, C. सदानंदन मास्टर
निकम की पहचान26/11 केस का अभियोजक, 600+ सजा, पद्मश्री (2016)
राजनीतिक सफ़र2024 में भाजपा लोकसभा प्रत्याशी, हार
राजनीतिक क्षमताविधि-कानून में गहरा अनुभव, न्याय सुधार की प्रतिबद्धता

🎯 निष्कर्ष

उज्ज्वल निकम की राज्यसभा की यह मंज़ूरी उनके कानूनी करियर, नैतिक साहस, और न्यायिक सोच को विधायिका में लाने का मार्ग खोलेगी। इसके साथ ही राज्यसभा की बहसों में कानून, आतंकवाद से निपटने की रणनीति और न्यायिक सुधारों पर गहन विमर्श की उम्मीद है।

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