भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में एक हत्या के मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी, फिलहाल फांसी से अस्थायी राहत मिल गई है। भारत के विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यमन सरकार ने 16 जुलाई को होने वाली उनकी फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी है।
केरल की रहने वाली 33 वर्षीय निमिषा पर 2017 में यमन के नागरिक और उनके पूर्व व्यवसायिक साझेदार तालाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। महदी की लाश टुकड़ों में एक पानी की टंकी से बरामद की गई थी। हालांकि, निमिषा ने अदालत में हत्या से इनकार करते हुए कहा था कि यह घटना आत्मरक्षा में हुई थी।
🕌 शरिया कानून के तहत ‘माफी’ ही अंतिम उम्मीद
यमन के इस्लामिक न्यायिक प्रणाली (शरिया) के अनुसार, निमिषा को सिर्फ तभी बचाया जा सकता है, जब पीड़ित के परिवार द्वारा उन्हें माफ कर दिया जाए। यह माफी ‘दियाह’ यानी ब्लड मनी के रूप में दी जा सकती है। निमिषा के परिवार और समर्थकों ने इस दिशा में बड़ा प्रयास करते हुए 10 लाख डॉलर (लगभग 8.3 करोड़ रुपये) इकट्ठा कर लिए हैं।
यह रकम पीड़ित परिवार को सौंप दी गई है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक माफी नहीं मिली है।
🤝 भारत सरकार और सामाजिक संस्थाएं जुटीं कोशिशों में
भारत सरकार इस मामले पर करीबी नजर बनाए हुए है और कूटनीतिक प्रयास जारी हैं। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने यमन में भारतीय दूतावास के जरिए पीड़ित परिवार से संपर्क बनाए रखा है। साथ ही, ‘सेव निमिषा’ जैसे अभियान सोशल मीडिया पर तेज़ी से चलाए जा रहे हैं।
💬 परिवार की अपील – “बस एक मौका और”
निमिषा की मां और पति ने मीडिया के जरिए एक भावुक अपील की है –
“हमने अपना सब कुछ बेचकर पैसे जुटाए हैं। हमारी बेटी की जान बचाने के लिए हम यमन के लोगों से दया की गुहार लगाते हैं।”
📌 मुख्य बिंदु:
- निमिषा प्रिया को 2017 में हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था
- 16 जुलाई को फांसी होनी थी, अब अस्थायी रूप से टली
- शरिया कानून के तहत माफी मिलने पर ही फांसी टल सकती है स्थायी रूप से
- 1 मिलियन डॉलर ब्लड मनी के रूप में पीड़ित परिवार को प्रस्तावित
- भारत सरकार और नागरिक संगठन मामले की निगरानी में