भारत की नर्स निम्मिषप्रिया (Nimisha Priya) को यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के मामले में मृत्युदंड सुनाया गया है। अब यमन सरकार ने पुष्टि कर दी है कि उनकी फांसी की सजा 16 जुलाई 2025 को लागू की जाएगी। यह खबर भारत और विदेशों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, निम्मिषप्रिया के परिवार और मलयाली समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है।
मामला क्या है?
निम्मिषप्रिया, केरल की रहने वाली एक नर्स थीं, जो काम के सिलसिले में यमन गई थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने 2017 में एक येमनी नागरिक की हत्या कर दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, निम्मिषप्रिया का दावा है कि वह खुद शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार हुई थीं और आत्मरक्षा में उन्होंने यह कदम उठाया।
कोर्ट का फैसला
यमन की एक अदालत ने उन्हें पहले ही फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन भारत में इस फैसले के खिलाफ मानवाधिकार संगठनों और परिजनों ने अभियान चलाया। कई बार दया याचिकाएं और मुआवज़ा समझौतों की कोशिशें भी हुईं, लेकिन अब यमन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सजा में कोई बदलाव नहीं होगा।
भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने इस मामले में कूटनीतिक स्तर पर हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने यमन में भारतीय दूतावास के माध्यम से अंतिम प्रयास किए, लेकिन यमन का कानून “ब्लड मनी” (मुआवज़े) की अनुमति देने के बाद भी, पीड़ित के परिवार ने समझौते से इनकार कर दिया।
जनता की प्रतिक्रिया
- केरल में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
- मानवाधिकार संगठन मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप करें।
- ऑनलाइन पेटिशन में लाखों लोगों ने निम्मिषप्रिया की सजा रोके जाने की मांग की है।