दक्षिण भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता मधन बॉब का निधन हो गया है। उनके बेटे आर्चित ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की है। कैंसर से जूझ रहे मधन बॉब ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी मुस्कान नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने विशिष्ट हास्य अंदाज़, मुस्कान और विशेष हंसी से लाखों दर्शकों के दिलों में जगह बनाई थी, जिसके कारण उन्हें प्यार से ‘पुन्नगई मन्नन’ (मुस्कान का राजा) कहा जाता था।
मधन बॉब का फिल्मी सफर:
मूल रूप से एस. कृष्णमूर्ति नाम से जन्मे मधन बॉब ने 1992 में के. बालाचंदर की फिल्म ‘वाणमे एल्लै’ से अभिनय की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और करीब 600 से अधिक फिल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग और शानदार एक्सप्रेशंस से सबका दिल जीता।
उनके यादगार किरदारों में शामिल हैं:
- ‘थेनाली’ (2000) में डायमंड बाबू
- ‘फ्रेंड्स’ (2000) में मैनेजर सुंदरासन
- ‘थेवर मगन’ (1992) – जिसे लेकर शिवाजी गणेशन ने भी उनकी प्रशंसा की थी
- ‘सती लीलाावती’ (1995), ‘चंद्रमुखी’ (2005) और ‘एथिर नीचल’ (2013)
हिंदी और अन्य भाषाओं में भी बनाई पहचान:
उन्होंने सिर्फ तमिल ही नहीं, बल्कि हिंदी, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में भी काम किया।
- हिंदी: ‘चाची 420’ (1997)
- तेलुगु: ‘बंगारम’ (2006)
- मलयालम: ‘भ्रमरम’ (2009) और ‘सेल्युलॉइड’ (2013)
संगीत में भी थी महारत:
बहुत कम लोग जानते हैं कि मधन बॉब एक कुशल संगीतकार और शिक्षक भी थे। उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत और कर्नाटिक संगीत की विधिवत शिक्षा ली थी। उन्होंने एस. रामनाथन, ‘विक्कु’ विनायकम, और हरिहर शर्मा जैसे महान संगीतज्ञों से शिक्षा प्राप्त की थी। यही नहीं, वह ए.आर. रहमान जैसे म्यूज़िक लेजेंड के भी गुरु माने जाते हैं।
अंतिम विदाई:
मधन बॉब के निधन से दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके चाहने वाले, सहकर्मी और कलाकार उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
🙏 ‘पुन्नगई मन्नन’ मधन बॉब को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनकी मुस्कान और कला हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।