भारतीय मूल के अमेरिकी उद्योगपति और हॉटमेल के सह-संस्थापक साबीर भाटिया सोशल मीडिया पर उस समय विवादों में घिर गए जब उन्होंने भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर तंज कसते हुए एक पोस्ट शेयर की। उन्होंने लिखा, “भारत को इस बात पर गर्व नहीं बल्कि शर्म आनी चाहिए कि 41.5 करोड़ लोग आज भी रोज़ाना $3.10 यानी लगभग ₹260 पर गुज़ारा करते हैं।”
उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर बुरी तरह उल्टी पड़ गई। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भारतीय यूजर्स ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए जवाब दिया कि उनके आंकड़े पुराने और भ्रामक हैं, और ये भारत की उपलब्धियों का अपमान करने की कोशिश है।
🤳 यूजर्स ने दिया करारा जवाब
एक यूजर ने तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा, “आपको किसको खुश करना है यह समझ नहीं आता। भारत को नीचे दिखाने से पहले आप खुद की सोच पर गौर करें।”
कुछ यूजर्स ने तो भाटिया पर व्यक्तिगत रूप से भी निशाना साधते हुए लिखा, “अगर भारत से इतनी नफरत है तो पहले अपना सरनेम बदलो।”
💬 भाटिया का जवाब और “नैतिक ज्ञान”
भाटिया ने आलोचकों के साथ बहस में उतरते हुए भारत को “आत्मनिरीक्षण” की सलाह दी और यह तक कह दिया कि “सिस्टम में सुधार न हो तो देश महान नहीं बनता।“
जब एक यूजर ने अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा कि “36-37 ट्रिलियन डॉलर कर्ज में डूबे अमेरिका को देखो जो खुद को नंबर 1 कहता है”, तो भाटिया ने जवाब दिया—“अमेरिका ने कभी खुद को नंबर 1 कहकर डींगे नहीं मारीं।”
📊 वास्तविकता क्या है?
विशेषज्ञों के अनुसार, विश्व बैंक और IMF के ताज़ा आंकड़ों में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार ऊपर चढ़ रही है, और हाल ही में उसने जर्मनी को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल किया है।
हालांकि, गरीबी और असमानता जैसी समस्याएं हैं, लेकिन भारत ने आयुष्मान भारत, पीएम गरीब कल्याण योजना, और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों से करोड़ों लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा है।
🔚 निष्कर्ष
साबीर भाटिया का यह विवादित बयान एक बार फिर इस बात की याद दिलाता है कि भारत के प्रति नकारात्मक टिप्पणियाँ—वो भी भारतीय मूल के लोगों द्वारा—कैसे सोशल मीडिया पर पलटवार का कारण बन सकती हैं।
भारतीय यूजर्स अब सिर्फ सुनते नहीं, जवाब देना जानते हैं।