लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पहली बार राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक साथ सार्वजनिक मंच पर नजर आने जा रहे हैं। यह साझा उपस्थिति महागठबंधन के लिए न सिर्फ एक राजनीतिक संदेश होगी, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक दिशा भी तय करेगी।
दोनों नेता 10 जुलाई को पटना में एक पैदल मार्च में हिस्सा लेंगे, जो श्रम संहिता में संशोधन और मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ आयोजित किया गया है। यह मार्च विपक्षी एकता और जनता से जुड़ी मूलभूत समस्याओं को उजागर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
🔹 14 महीने बाद फिर साथ दिखेंगे
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव 14 महीने के लंबे अंतराल के बाद एक साथ नजर आएंगे। इससे पहले वे लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मंच साझा करते दिखे थे, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद दोनों एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए थे।
🔹 चक्का जाम का राजनीतिक संदेश
यह चक्का जाम आंदोलन बिहार की राजनीति के लिए एक बड़ा इवेंट साबित हो सकता है। श्रमिक संगठनों और छात्रों से जुड़े विभिन्न संगठनों ने भी इस मार्च को समर्थन देने का एलान किया है।
🔹 किन मुद्दों पर हो रहा विरोध?
- श्रम संहिता में बदलाव से कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकारों पर असर पड़ने का दावा किया जा रहा है।
- मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह ‘जनता के अधिकारों में कटौती’ है।
🔹 आगामी चुनावों के लिए क्या मायने?
बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव होने हैं और यह साझा मंच कहीं न कहीं महागठबंधन की एकजुटता को पुनः स्थापित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।