संसद के मानसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर काफी गहमा-गहमी देखने को मिली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में इस बहुप्रतीक्षित सैन्य अभियान पर विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देते हुए दो टूक कहा — “हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है, अब आतंक के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा।”
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा करना नहीं, बल्कि आतंक के गढ़ को जड़ से उखाड़ फेंकना था।
राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
- भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।
- ऑपरेशन सिंदूर सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ दुश्मनों को यह स्पष्ट संदेश देने के लिए था कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।
- यह ऑपरेशन पूरी तरह से रणनीतिक था और किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया गया।
- जवानों की शहादत को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि देश उनकी वीरता को कभी नहीं भूलेगा।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की और ऑपरेशन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस अभियान से जुड़े तथ्यों को जनता के सामने पूरी तरह रखना चाहिए। कांग्रेस की प्रमुख नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी भी बहस में भाग लेने वाले हैं।
सोशल मीडिया पर बहस:
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस तेज है। कुछ लोग इसे सर्जिकल स्ट्राइक 3.0 बता रहे हैं, तो कुछ पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। इस बीच, सरकार समर्थकों ने इसे भारत की सैन्य दृढ़ता का प्रमाण बताया है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान की सीमा के करीब कुछ विशेष आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर चलाया गया था। इस ऑपरेशन की रणनीति गुप्त रखी गई थी और इसे बेहद सटीकता से अंजाम दिया गया।
निष्कर्ष:
लोकसभा में राजनाथ सिंह की गर्जना और विपक्ष के सवालों से साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर अब सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि राजनीतिक बहस का भी केंद्र बन गया है। अगले कुछ दिनों में संसद में इस पर और तीखी बहस देखने को मिल सकती है।