यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने की अंतरराष्ट्रीय मुहिम अब निर्णायक मोड़ पर है। इस बीच, उनकी नन्ही बेटी ने सार्वजनिक रूप से भावुक अपील की है:
“मेरी मां को माफ कर दो, वो अब भी एक अच्छी इंसान हैं…“
यह अपील दुनियाभर के नेताओं, मानवाधिकार संगठनों और आम जनता को झकझोर रही है।
🔹 मामला क्या है?
निमिषा प्रिया को यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है। वर्ष 2017 में हुए इस मामले में अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, प्रिया और उनके समर्थकों का दावा है कि यह घटना आत्मरक्षा में हुई थी और इसका उद्देश्य हत्या नहीं था।
🔹 अंतरराष्ट्रीय प्रयास तेज
ईसाई धर्मगुरु डॉ. पॉल, जो विश्व शांति के लिए कार्य करते हैं, ने यमन के प्रभावशाली हूती नेता अब्दुल-मलिक अल-हौथी को सितंबर 2025 में न्यूयॉर्क में आयोजित ग्लोबल पीस समिट में आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा:
“प्रेम, घृणा से अधिक शक्तिशाली है… हम विनम्रता से अपील करते हैं कि निमिषा को माफ कर दिया जाए।”
डॉ. पॉल ने यह भी कहा कि बातचीत के माध्यम से समाधान संभव है और मृतक के परिजनों से ‘ब्लड मनी’ (कानूनी क्षतिपूर्ति) के तहत समझौते की दिशा में प्रयास हो रहे हैं।
🔹 भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार भी इस मामले पर गंभीरता से काम कर रही है। विदेश मंत्रालय, यमन के अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के साथ समन्वय में लगातार संवाद कर रहा है।
🔹 जनता की आवाज़
भारत और अन्य देशों में #SaveNimishaPriya नामक सोशल मीडिया अभियान चल रहा है। हजारों लोग याचिकाओं के माध्यम से यमन सरकार से उनकी सजा माफ करने की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
निमिषा प्रिया की बेटी की अपील ने इस मामले को एक भावनात्मक और मानवीय पहलू दे दिया है। अब यह सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि एक मां-बेटी के जीवन और बिछड़ने की कगार पर खड़ी करुणा की कहानी बन चुकी है। क्या यह भावुक पुकार और वैश्विक प्रयास यमन सरकार को निर्णय पर पुनर्विचार के लिए मजबूर करेंगे — यह आने वाला समय बताएगा।