संसद के मानसून सत्र के दौरान निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी और कई संवेदनशील मुद्दों पर सवाल खड़े किए। कोर्ट द्वारा उन्हें 24 जुलाई से 4 अगस्त तक संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति दी गई है। उन्होंने लोकसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए पहलगाम आतंकी हमले पर गहरा दुख जताया और साथ ही कश्मीर में मारे गए निर्दोष स्थानीय लोगों का भी मुद्दा उठाया।
इंजीनियर रशीद ने कहा, “आतंकवाद किसी भी रूप में निंदनीय है, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि कश्मीर में भी कई बेगुनाह लोग मारे गए हैं, जिनकी आवाज संसद में नहीं उठाई जाती। उनके दर्द की भी सुनवाई होनी चाहिए।”
रशीद ने अपने भाषण में जिन्ना और नेहरू के योगदान और उनके फैसलों पर भी टिप्पणी की, जिसे लेकर सदन में हलचल मच गई। उन्होंने कहा कि “इतिहास को एकतरफा नहीं देखा जाना चाहिए। आज जो हालात हैं, वह सिर्फ एक नेता के कारण नहीं हैं।”
इसके अलावा उन्होंने हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भी सवाल उठाए और कहा कि सैन्य कार्रवाइयों को लेकर सरकार को पारदर्शिता रखनी चाहिए और जनता को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए कि किन उद्देश्यों से यह ऑपरेशन चलाया गया।
निष्कर्ष:
इंजीनियर रशीद की संसद में यह उपस्थिति निश्चित रूप से चर्चाओं का विषय बन गई है। उनकी बेबाकी और सवाल पूछने का अंदाज़ कई राजनीतिक दलों के लिए असहज करने वाला रहा। देखना होगा कि उनके इन बयानों पर संसद और सरकार की अगली प्रतिक्रिया क्या होगी।
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