पूर्व इंग्लैंड कप्तान अलास्तेयर कुक ने भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के दौरान जसप्रीत बुमराह की सीमित भूमिका और परिस्थितियों पर गहरी टिप्पणी की है। बुमराह इस सीरीज में सिर्फ दो टेस्ट मैच खेले, जिनमें से दोनों में भारत हार गया, जिससे कुक ने टीम इंडिया पर अत्यधिक निर्भरता की चिंता जताई ।
“…हमने चार बिल्कुल फ्लैट विकेट्स पर खेला, ये मेरे लिए हैरानी की बात थी, लेकिन इसने अविश्वसनीय क्रिकेट को जन्म दिया। मैं नहीं समझता कि मैंने कभी किसी पांच मैचों की सीरीज के बाद इतनी थकी हुई दोनों टीमें देखी हों” — ऐसा उन्होंने BBC की Test Match Special के माध्यम से कहा ।
कुक का मानना है कि बुमराह की अनुपस्थिति और तरल परिस्थितियों ने विपक्ष को मौका दिया, लेकिन अंततः मैचों की घनघोर प्रतिस्पर्धा ने दर्शकों को शानदार क्रिकेट के कई क्षण दिए।
🔍 सतहें और थकावट
- इंग्लिश विकेट्स इस सीज़न में पारंपरिक से काफी फ्लैट रहे, जिससे गेंदबाज़ों को कोई मदद नहीं मिली और बल्लेबाज़ों को ऊपर से आसान स्कोर दर्ज करने का मौका मिला ।
- ABC News के अनुसार, कई टेस्ट मैचों के अंतिम दिन विकेट्स इतनी आसान हो गईं कि रन चेज़ आसान लगने लगे—कुक ने टिप्पणी की: “हम ऐसी विकेट्स नहीं चाहते—हम चाहते हैं कि मैच में अंत तक खतरा बना रहे” ।
🎯 निष्कर्ष:
कुक की टिप्पणी ने स्पष्ट कर दिया कि बुमराह की कमी, फ्लैट विकेट्स, और मैदान पर बेहद थकावट वाली परिस्थितियों ने किस तरह इस सीरीज को रणनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण बना दिया। हालांकि दोनों टीमें शारीरिक और मानसिक तौर पर थकी हुई दिखीं, लेकिन उन्होंने दर्शकों को अद्भुत क्रिकेट के कई यादगार लम्हे दिए।
इस बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या एक या दो प्रतिदर्श गेंदबाज़ पर निर्भर रहना भारतीय टीम के लिए दीर्घकालिक रूप से सही रणनीति है, और साथ ही इसके पीछे विकेट निर्माण की रणनीतियों और चयन गहराई से सोचे जाने की बात सामने आती है।