घटना का ब्यौरा (5 अगस्त 2025, मंगलवार)
- धाराली (उत्तरकाशी) में क्लाउडबर्स्ट—करीब 1:45 PM बजे अचानक हुए तेज बारिश और भूस्खलन से खीर गंगा नदी के पुल की तरह बहाव आया, जिससे धाराली गांव पूरी तरह तबाह हो गया। रातोंरात 40‑50 घर और दर्जनों होटल व दुकानें बह गए।
- कुल 4 मौतें हुईं और करीब 50 से अधिक लोग अटराज़ा देंअब तक लापता हैं, जबकि अधिकारियों का कहना है संख्या बढ़ सकती है।
- सेना कैंप प्रभावित हुआ—हरसिल में 14 राजपूताना राइफल्स ब्रिगेड मुख्यालय पर दूसरा क्लाउडबर्स्ट गिरा, जिससे लगभग 10 सैनिक और एक JCO लापता हो गए और कई घायल हुए।
राहत और बचाव कार्य
- सेना ने घटना के लगभग 10 मिनट के भीतर 150 जवान मौके पर भेजे और बचाव अभियान शुरू किया। अब तक लगभग 20‑30 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
- ITBP (इंडो‑तिब्बत बॉर्डर पुलिस) ने लगभग 50 लोगों को बचाया, जिनमें स्थानीय नागरिक और पर्यटक शामिल हैं।India Todayndtv.com
- NDRF, SDRF, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया है—कुत्ते, हेलीकाप्टर (हालांकि खराब मौसम व हेलिपैड ध्वस्त होने से सीमित) और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
- सेना और आईटीबीपी टीमों के साथ जिला प्रशासन युद्धस्तर पर कार्यरत हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
- 3 IAS अधिकारियों को उत्तरकाशी में विशेष निगरानी एवं राहत समन्वय के लिए तैनात किया गया है।
- मौसम विभाग की चेतावनी—IMD ने उत्तराखंड में 9 तक भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी किया है; खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
प्राकृतिक कारण और भविष्य की जोखिम
- यह घटना एक ‘ब्रेक मानसून’ संरचना के कारण हुई, जिसमें पश्चिमी विक्षोभ और फॉरलैंड ट्रफ मिलकर अत्यधिक बारिश ला रहे हैं। आगे 24‑36 घंटों तक और बारिश की आशंका है।
- विशेषज्ञों के मुताबिक—जलवायु परिवर्तन और पहाड़ी क्षेत्रों में बिना नियोजन वाली विकास कार्य इसे और भयानक बना रहे हैं। उत्तराखंड का ये हाल Kedarnath 2013 की त्रासदी से मिलते-जुलते लक्षण दिखा रहा है।
आपदा की स्थिति: त्वरित सारांश
घटना | विवरण |
---|---|
मौतें | कम से कम 4 |
लापता लोग | लगभग 50+, संभवत अधिक |
बचाए गए लोग | सेना द्वारा ~20–30, ITBP द्वारा ~50 |
प्रभावित घर/होटल | 40‑50 घर और दर्जनों होटल/दुकानें ध्वस्त |
सैनिक लापता | लगभग 10 सैनिक और 1 JCO |
मौसम चेतावनी | 5–9 अगस्त तक भारी बारिश का रेड अलर्ट |
समापन संदेश
इस भीषण आपदा में उत्तराखंडी पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु संवेदनशीलता, अभद्र पर्यटन‑विकास, और जलवायु परिवर्तन की तीव्रता स्पष्ट हो रही है। अब बचाव सर्वोच्च प्राथमिकता है—लापता लोगों को ढूँढना, बीमार व घायल लोगों का त्वरित इलाज, सुरक्षित पुनर्वास और भविष्य के लिए सतर्क पुनर्निर्माण रणनीति अपनाना अब वक्त की मांग है।