धार्मिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले असम के धुबड़ी ज़िले में हनुमान मंदिर के पास गोवंश का कटा हुआ सिर फेंके जाने से सांप्रदायिक तनाव चरम पर पहुंच गया है। यह घटना ईद-उल-अधा के ठीक एक दिन बाद 7 जून को सामने आई, जिसने पूरे राज्य को झकझोर दिया।
घटना के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सर्मा ने कानून-व्यवस्था को लेकर ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाते हुए त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए। पुलिस ने रातों-रात छापेमारी करते हुए 38 लोगों को गिरफ़्तार किया है।
🛑 सीएम सर्मा का सख़्त संदेश: “बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”
सीएम सर्मा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर स्थिति का जायज़ा लेते हुए लिखा:
“मैंने धुबड़ी का दौरा किया और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मंदिरों, नामघरों और पवित्र स्थलों के अपमान में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा न जाए। हनुमान मंदिर में बीफ़ फेंकने की घटना कभी नहीं होनी चाहिए थी, और जो लोग इसके पीछे हैं उन्हें कड़ी सज़ा मिलेगी।”
🔥 सांप्रदायिक तनाव और भड़काऊ तत्वों की भूमिका
यह घटना बकरीद के बाद सामने आई, जब हनुमान मंदिर के पास गाय का कटा हुआ सिर पड़ा मिला। इससे स्थानीय हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया और पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया। इसके अगले ही दिन, इलाके में पत्थरबाज़ी की घटनाएं भी दर्ज की गईं।
सीएम सर्मा ने आगे खुलासा किया कि एक संगठन ‘नवीन बांग्ला’ द्वारा बकरीद से पहले भड़काऊ पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें धुबड़ी को बांग्लादेश में मिलाने की मांग की गई थी। उन्होंने इसे शांति भंग करने की सोची-समझी साजिश करार दिया।
“कुछ fringe समूह माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हमने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है और क़ानून अपने काम करेगा।”
🤝 दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील
हालांकि तनाव के बीच, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के नेताओं ने संयम बरतने और शांति बनाए रखने की अपील की है। लेकिन ज़मीनी हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं, और प्रशासन पूरी तरह अलर्ट पर है।
निष्कर्ष:
धुबड़ी में हुई यह घटना असम की सामाजिक और सांप्रदायिक एकता को चुनौती देती है। मुख्यमंत्री की सख्ती और पुलिस की तेज़ कार्रवाई यह दिखाती है कि राज्य सरकार ऐसे मामलों में कोई ढील देने को तैयार नहीं है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि आगे प्रशासन हालात को कैसे नियंत्रित करता है।