सचिन का बेटा छूटा, चोपड़ा का बेटा छा गया? MLC में डेब्यू से सुर्खियों में अग्नि चोपड़ा, अर्जुन तेंदुलकर को फिर मौका नहीं

भारतीय क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर के लिए क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं रहा। मुंबई इंडियंस के साथ जुड़ाव और कुछ मौकों पर विकेट लेने के बावजूद अर्जुन अब तक वो प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं जिसकी उम्मीद एक ‘तेंदुलकर’ नाम से की जाती है।

मुंबई इंडियंस, जो युवा प्रतिभाओं को मौका देने के लिए जानी जाती है, ने 2024 की मेगा ऑक्शन में अर्जुन को पहले रिलीज़ किया, लेकिन बाद में उन्हें 30 लाख रुपये के बेस प्राइस पर फिर से टीम में शामिल कर लिया। इसके बावजूद अर्जुन को पूरे सीज़न एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला, और वे बेंच पर ही बैठे रहे।

🔥 अब चमके अग्नि चोपड़ा, MLC में धमाकेदार डेब्यू

वहीं दूसरी तरफ, फिल्म निर्देशक विदु विनोद चोपड़ा और फ़िल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा के बेटे अग्नि चोपड़ा ने अमेरिका की पेशेवर टी20 लीग MLC (Major League Cricket) में डेब्यू कर लिया है।

इस सीज़न की खास बात यह है कि भारत की दो सबसे बड़ी IPL फ्रेंचाइज़ियाँ – मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स – भी इस लीग में हिस्सा ले रही हैं।

मुंबई इंडियंस ने अग्नि चोपड़ा को $50,000 (लगभग ₹41 लाख) में साइन किया है, जो यह दर्शाता है कि फ्रेंचाइज़ी अब नई प्रतिभाओं में निवेश करने को तैयार है।

🎯 क्या अर्जुन के लिए दरवाज़े बंद?

जब एक ओर अग्नि जैसे नए चेहरे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मौका मिल रहा है, वहीं अर्जुन तेंदुलकर लगातार टीम में रहकर भी खेलने का मौका गंवाते जा रहे हैं। अब यह सवाल उठना लाजमी है — क्या अर्जुन अपने नाम का दबाव झेल नहीं पा रहे? या फिर टीम मैनेजमेंट को उनमें अभी भी IPL-लेवल प्रदर्शन की कमी महसूस हो रही है?

🏏 संघर्ष बनाम अवसर

जहां अग्नि चोपड़ा अपने क्रिकेटिंग करियर की शुरुआत एक बड़े मंच से कर रहे हैं, वहीं अर्जुन के लिए यह एक और ‘गोल्डन मौका’ था जो हाथ से निकल गया। अर्जुन को अब खुद को एक बेहतर ऑलराउंडर के रूप में पेश करने की जरूरत है ताकि वह केवल अपने सरनेम से नहीं, बल्कि अपने खेल से सुर्खियों में आएं।


निष्कर्ष:
अर्जुन तेंदुलकर के सामने चुनौती अब पहले से कहीं ज़्यादा है। उनके पास विरासत है, पहचान है — अब जरूरत है तो सिर्फ़ एक दमदार प्रदर्शन की। वहीं अग्नि चोपड़ा की एंट्री ने दिखा दिया है कि क्रिकेट अब सिर्फ नाम नहीं, काम से पहचाना जाता है।

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