वो कहते थे ना, जंगल का जंगल होना चाहिए—रोने-धूप, पक्षी, जंगल, लेकिन राजस्थान का जंगल अब बनेगा ‘जीन बैंक’। MP से आने वाले बाघ-बाघिनों की 7 सदस्यों वाली टीम, हेलीकॉप्टर द्वारा एयरलिफ्ट होकर मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी रिजर्व में उतरेंगे। इसके साथ ही, तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर बनाए जाएंगे और 150 चीतल प्रे-बेस में शामिल होंगे।
यानि, वन्यजीवों का जीवन सरकार के लिए सिर्फ रिपोर्ट कार्ड नहीं, बल्कि असली काम बन गया है—ज्यादा जंगल, ज़्यादा सुरक्षा, ज़्यादा संतुलन। बाघों की संख्या में बेहतरीन संतुलन आएगा, जंगल की नस्लों में सुधार होगा और जीन पूल मजबूत होगा।
और सबसे बड़ी बात—यह पहली बार इंटर-स्टेट बाघ स्थानांतरण की पहल है। यह म्यूजिक नहीं, यह रियलिटी है—जहां वन्यजीवों की रक्षा के नाम पर स्टेट लाइन नहीं, बल्कि उनके लिए नया आशियाना बनाया जा रहा है।