एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2025 के चौथे टेस्ट का अंतिम दिन जहां रोमांच और रणनीति से भरा था, वहीं अंत में विवाद का भी गवाह बना। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने जब मैच के ड्रॉ की औपचारिक पेशकश की, तो भारतीय टीम ने उसे सिरे से नकार दिया, जिससे मैदान पर माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया।
🤝 ड्रॉ का प्रस्ताव और भारत की रणनीतिक चुप्पी
मैच के अंतिम घंटे में जब 15 ओवर का खेल बचा था और भारत 386/4 के स्कोर पर 75 रनों की बढ़त बनाए हुए था, तब स्टोक्स ने खेल समाप्त करने का संकेत दिया। यह क्रिकेट में एक सम्मानजनक परंपरा होती है, जब मैच के परिणाम तय नजर आने लगते हैं।
हालांकि, भारतीय खेमे ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और खेलने का फैसला लिया। इससे इंग्लिश खेमा हैरान रह गया, और स्टोक्स ने कप्तान शुभमन गिल और कोचिंग स्टाफ से भी बात की, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वे ‘खेल को खेल की तरह’ समाप्त करना चाहते हैं, न कि समझौते के तहत।
🗣️ जडेजा और क्रॉली में गरमा-गरमी
स्थिति तब और गर्मा गई जब इंग्लैंड के ओपनर ज़ैक क्रॉली और भारत के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा के बीच बहस हो गई। सूत्रों के अनुसार, क्रॉली ने भारत के निर्णय को “अनावश्यक खिंचाव” कहा, जिस पर जडेजा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। दोनों खिलाड़ियों को अंपायरों ने बीच में आकर शांत कराया।
🇮🇳 भारत का स्पष्ट संदेश: हम हार-जीत के लिए खेलते हैं
भारतीय टीम मैनेजमेंट का मानना था कि जब तक खेल के ओवर बचे हैं और खिलाड़ी क्रीज पर हैं, तब तक मैच को स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ने देना चाहिए। जडेजा (107*) और वाशिंगटन सुंदर (101*) शानदार बल्लेबाज़ी कर रहे थे और टीम का मनोबल ऊंचा था।
🌐 क्या यह खेल भावना के खिलाफ था?
इस घटनाक्रम ने क्रिकेट जगत में नई बहस छेड़ दी है—क्या भारत ने खेल भावना के खिलाफ कदम उठाया या यह उनकी जीत की मानसिकता का प्रतीक था? सोशल मीडिया पर भी इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
निष्कर्ष:
जहां एक ओर मैनचेस्टर टेस्ट का परिणाम ड्रॉ रहा, वहीं इसका अंतिम सत्र क्रिकेट प्रेमियों को लंबे समय तक याद रहेगा—खासतौर पर वह पल जब खेल से अधिक “इच्छाशक्ति” और “अहम” ने सुर्खियां बटोरीं।