कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कर्नाटक के विजयपुरा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए साल 1999 की एक अहम राजनीतिक घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस वर्ष कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उन्होंने विपक्ष के नेता के तौर पर पार्टी की ओर से बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री बनने का मौका किसी और को दे दिया गया जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुआ था।
खड़गे ने कहा, “मैंने विपक्ष का नेता रहते हुए चुनाव लड़ा था और पार्टी के लिए पूरी मेहनत की, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी मुझे नहीं दी गई। किसी ऐसे व्यक्ति को बना दिया गया जो पार्टी में नया था।” खड़गे का इशारा स्पष्ट रूप से एस.एम. कृष्णा की ओर था, जिन्हें 1999 में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
“मेरी सेवाएं शायद पार्टी को कम लगी हों”
खड़गे ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “मैंने हमेशा पार्टी के लिए निष्ठा से काम किया। हो सकता है, मेरी सेवाएं उस वक्त पार्टी को उतनी महत्वपूर्ण नहीं लगी हों।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह हमेशा पार्टी की प्राथमिकताओं और निर्णयों का सम्मान करते हैं।
राजनीतिक हलकों में हलचल
खड़गे के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। इसे एक तरह से उनके भीतर वर्षों से दबे दर्द और अवसर से वंचित रहने की पीड़ा के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि उन्होंने खुलकर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में खड़गे
बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और वह पार्टी के कुछ गिने-चुने नेताओं में से हैं जिन्होंने लंबा संघर्ष किया है और दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए शीर्ष पद तक पहुंचे हैं।